Wednesday, April 27, 2011

बड़े - छोटे

can you see the young & the old in this pic..?
Optical illusion
that is what
this world
is.


बड़े, जब अपने बड़े होने का
दंभ जता दें
तो कितने छोटे हो जाते हैं,
संस्कार जब केवल
एक पुरानी आदत रह जाएँ
तो कितने ओछे हो जाते हैं,
समय तो हर दम
अपनी रफ़्तार से ही चला है,
हम ही जब
उसके साथ ना चल पायें
तो कितने थोथे हो जाते हैं...

माना के लिपे-पुते चेहरे,
नग्नता, रोबोट सी ज़िन्दगी
में कुछ भी बेस्ट नहीं,
झूठे चेहरों,
झीने वस्त्रों और छदम मानवता के आगे
मगर ये छोटे पड़ जाते हैं...

ये भी ठीक
की होड़ सी लगी है हमारे बीच
नंबर वन होने की,
रोगी को क्या हम पर दोष दें
जब रोग यहाँ पर
बचपन से ही थोपे जाते हैं...

हाँ.. ये सच है
की अपनी गरीबी के लिए
दूसरों को दोष देने से आसान यहाँ कुछ भी नहीं,
मुश्किल मगर ये
के इश्क में यहाँ
हर मत्थे अपने ही मत्थे हो जाते हैं...

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