Sunday, September 9, 2012

बेचारे कुत्ते (POOR STREET DOGS)

बेचारे कुत्ते

(POOR STREET DOGS)




ममता जी नजरुल इस्लाम के पीछे पड़ी हैं
भाजपाई कांग्रेस और कांग्रेसियों के
मीडियाकर्मी हमारे
तो
क्रिकेटर्स सचिन की सचिनाई के पीछे पड़े हुए हैं
मनमोहन सिंह खुद मम्स(MMS) होते हुए भी
हमारे कंप्यूटर, सोशल साइट्स और SmS के
पीछे पड़ गए हैं
औए मन सदैव से इश के
पीछे ही रहा है


दैनिक भास्करी तो सदा
से
सफलतम कहलाने के होड़ में लगे ही हैं

म.न.से बिहारियों के पीछे पड़ा हुआ है
और सेना बाल ठकुराई के दिनों से ही पाकिस्तानियों के पीछे पड़ा हुआ है

राज उत्तर भारतियों में उद्धव द्वारा हथियाई सीट देख रहा है

फिर हमारे मोदी जी भी मोदेर्ण(modern) दिखाई देने में पीछे क्यूँ रहें

उन्हें भी तो PM बन्ने का चस्का लगा है....!!

 
ठीक भी है मेरे भाई...,
की
 जैसी जिसकी 
दृटी वैसे उसके कर्म
"जाकी रही भावना जैसीप्रभु 
मूरत दिखे वैसी"
पर...
सबकुछ समझ के भी ये ना जान पाया मेरे मनमंदिर का टॉमी(Tommy) के
बेचारे कुत्ते ने क्या बिगाड़ा है
काग्रेसी वक्ता G.K.हरिप्रसाद जी का
वे हमारे कुत्तेपन को कोस रहें हैं
या
दबंग 
भाजपाई नेता कैलाश विजयवर्गीय जी को  
नरेन्द्र मोदी जी को फालो करने से रोक रहें है
या फिर
 
ये भली भांति जानते-बूझते हुए भी

 की
ना तो
हम कोई ब्लॉग फालो करते है
और ना ही 
हमें बुद्धू कहा जा सकता है...

हम तो बस...

मस्त हो हो कर मजा ले रहें हैं monsoon का
या फिर रो रो कर भों भों करते फिरते हैं
रात की तनहाइयों में अपनी लैला को याद कर कर के
आप क्या जानो की 
कैसी होती है ये विरह की अग्नि
इश्क हो जाए जो मजनू को 
तो इश्वर भी लगने लगता है एक चतुर ठगनी...

परेशान होते हैं अगर हम
तो
बस नगर निगम की कुत्ता पकड गैंग से

गैंग्स ऑफ़ वासेपुर से भी जालिम होती है ये गैंग
या फिर
नाराज रहते हैं हम
विचित्र श्वानो के विचित्र मालिकों से
जो
पैदा करते हैं हम में भी नस्लवाद के भेद-भाव या फिर नहीं सुहाते हमें वो बेवफा नागरिक गण जो
हमारी वफादारी का सीला देते हैं दिखा के अपना फन
चलाते नज़र आते हैं हम मासूमों पे गन...
वर्ना तो हमें
ना राजनीति से ना राजनीतिज्ञों 
से
ना अधर्मियों ना धर्मियों से
ना समाज के ठेकेदारों से
ना पद के नशे में चूर अहंकारियों से ना सफलता के पुजारि
यों
से
ना MMS से


न SmS से
ना facebookers ना संक्षिप्त twitters से
क्रिकेटर्स से ना क्रिकेट से 
ना चुनावी किसी ticket से
और
ना ही किसी डकैत 
से 
कभी 
कोई मतलब
या
लेना-देना 
रहा है
ना कभी रहेगा ...
हम तो बस...
कुदरतन लिप्त रहना जानते हैं
अपनी अदाकारीयों में
अपनी वफादारियों में
कुत्ते की पूँछ की तरह 
क्यों जी,
ठीक कहा ना हमने..!!??!!

PLEASE DON'T HURT MY TOMMY ANYMORE (-;


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