Monday, May 6, 2013

He Rama...He Rama...He Rama

पूँछते हैं वो नादान बन-बनकर
बिना मुसलसल ईमान की नीयत बाँध 
की 
हर मुसलमान आतंकवादी नहीं होता 
तो हर आतंकवादी मुसलमान क्यों होता है?

 
जानते नहीं वे काफिर 
की
 आतंक का कोई धर्म, मजहब या दिन-ओ-ईमान नहीं होता 
चाहे वो फेसबुक पर मचाया जाए सरेआम 
या 
अपने ही घर में 
अपने ही घरवालों को 
बात-बेबात पर धमका-धमका कर किया जाए सुबह-शाम
क्यूँकी 
पाखंडी इंसानो ने पाक-साफ़ इंसान को 
मजहबों में, धर्मो में, सांप्रदायिक ताक़तों में, 
बाँट-बांटकर रख दिया है 
हमारे अपने ही 'मन' ने उनकी हाँ में हाँ भरी है 
हो कर के अनजान
पाँच इन्द्रियों का स्वामी बन बैठा है
हमारा अपना ही 'मन'
भुलाकर अपना ही अंजाम 
अंतरात्मा तो जैसे गुलाम ही हो गई है 
मन रूपी देवराज इंद्र की 
या
 क्या पता शायद मर ही चुकी हो अब तक 
सदियों से हमारे अपने ही मन की रचित बेड़ियों में क़ैद रह रहकर 
वो तो खैर मनाइए जगत कृपालु कृपानिधान की
की;
परमात्मा की करुणा कहिये, 
अल्लाह की रहमदिली कहिये, 
रब्ब दी मेहर कहिये 
या 
कहिये God blessing Almighty की 
के;
'मन' रूपी भगवान् की मनोकामनाओं का बस नहीं चलता
पल-पल मनोवांछित फल पाने-खोने का हम पर 
वर्ना तो
 उसने ना जाने कब से ही हमारे खून की रंगत को नफासत को, 
हमारी हड्डियों की बनावट को ताक़त को, 
हमारी साँसों की आवाजाही के तूफ़ान को, 
हमारी नसों की रूहानियत को इबादत को, 
हमारी आँखों में बसे रोशनी के चिरागों को, जज्बों को, नूर को 
उस ज़ालिम ने अब तक अपनी हैवानियत की बदौलत 
अब तक जाने कितने भागों में बाँट-बांटकर 
टुकड़े-टुकड़े कर दिया होता 
क्यों ..??
हाँ ये है असल क्यों
 की क्योंकर करना चाहता है हमारा 'मन' 
हमारे ही साथ ये दुष्कृत्य ..??
खोज जो दिल आपना 
तो मिला ये जवाब 
की;
मनवा मेरे - तुम ही बुरे हो तुमसा बुरा ना कोए 
गाने लगी अंतरात्मा फिर एक बार मन ही मन 
की;
मन रे तू काहे ना धीर धरे 
वो निर्मोही मोह ना जाने जिनका मोह करे  
 हाँ ये सब सिर्फ इसलिए 
ताकि 
हम कभी भी प्रेम और सौहार्द के धर्मनिरपेक्ष वातावरण में 
जीने की अभिलाषा तो क्या एक अदना सी लालसा या कल्पना तक ना कर सकें 
ताउम्र कहीं भी - कभी भी
और 'राम राज्य' के बजाये 
उनकी ही स्वार्थ-सिद्धि हेतु स्थापित किये गए 
'मन-राज' की गुलामी करते रहें क़यामत से क़यामत तक
हे राम ... हे राम ... हे राम          
-- 
Man is bad case....isn't it?

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